हैलो दोस्तों, कैसे हो आप? मेरा नाम चंचल है और मैं आज आपको अपनी एक सच्ची देसी इंडियन गंदी कहानी मेरी चुचुदाई की सुनानी चाह रही हूँ जीसको सुनकर लड़कियों के जिस्म के रोंगटे खड़े हो जाएंगे।और लड़कों के लंड तो दोस्तों चलो अब मैं आपका ख्याल रखते हुए कहानी पर आती हूँ तो लेटस स्टार्ट तो जैसे कि मैंने बताया मेरा नाम चंचल है।
उम्र 21 साल और मैं अपने मम्मी डैडी के साथ पानीपत के गांव में रहती हूँ और मेरी स्टडी भी कॉलेज से हो रही है और घरवालों की हेल्प के लिए पार्ट टाइम जॉब करती हूँ, जिसका टाइम पांच से आठ है। दोस्तों, मैं देखने में ज्यादा सुंदर भी नहीं हूँ पर मेरे फीचर और मेरे फिगर पर हर लड़का दीवाना है।
कॉलेज में भी मुझे बहुत से ऑफर आए पर मैंने किसी को भी हाँ नहीं करी। दोस्तों मैं कॉलेज के बाद ही अपनी जॉब पर चली जाती हूँ क्योंकि।गांव जाकर फिर आना कुछ ज्यादा मुश्किल लगता है। जॉब पर आकर मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मुझे यह ज्यादा काम नहीं करना पड़ता, बल्कि अकाउन्ट का ही वर्क है जो कि कुछ ज्यादा नहीं होता।
हर कंपनी की तरह मेरी उस कंपनी के भी बॉस है जिनका नाम अजय कुमार है।और वो मुझे बहुत पसंद करते हैं, मेरे काम से खुश है और मेरे काम में हेल्प भी कर देते हैं। जॉब के खत्म हो जाने के बाद बॉस मुझे अपने कैबिन में बुला लेते हैं और मुझे उनकी बात मानते हुए उनके पास बैठना पड़ता है।और वो घर वालों से रिलेटेड बात करके अपने बारे में भी कुछ ना कुछ बताते रहते हैं।
बॉस मुझे ऐसे ही डेली बुलाते रहते हैं और इसी के चलते 8:00 बजे छुट्टी होने के बावजूद घर पहुंचते पहुंचते मुझे 10:00 बज जाते हैं।धीरे धीरे ये देरी का सिलसिला बढ़ता रहा और डेली मैं रात को घर 10:00 बजे तक आने लगी तो मम्मी ने बहुत दाँटगाई 1 दिन और साथ ही चौंक छोड़ने को कह दिया। मैंने तब माँ की बात को समझते हुए उनकी बात मान ली और कह दिया कि कल कंपनी में जाकर बात करती हूँ।
अब जैसे तैसे सुबह हुई तो मैं कॉलेज गई और वहाँ पर मेरा मूड भी सही नहीं था क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था कि मैं जॉब छोडू इसीलिए मैं आर्ट, स्कर्ट और शर्ट पहन कर आई थी। अब कॉलेज होने के बाद कंपनी में गई और अपना काम ना करते हुए सीधा बॉस के कैबिन में गई।बॉस ने मुझे देखते ही अपने काम को जल्दी जल्दी खत्म कर दिया हाँ और जो भी ऑफिसर वहाँ बैठे थे उनको बाहर भेज दिया और मुझे अंदर बुलाते हुए कहा हाँ चंचल, क्या हुआ हाँ, मैंने बोला।सर कल रात घरवालों से खूब डांट पड़ी और उनके कहने पर मैं रेसिग्नेशन लेटर लेके आई हूँ क्योंकि मुझे घर पहुँचते हुए 10:00 बज जाते हैं रोज़ और वो घरवालों को पसंद नहीं सर ने बोला, ओह ये बात है तो बैठो तो सही।
मैं उनके कहने पर बैठ गई, सर।उन्होंने बोला कुछ हो सकता है या नहीं? मैंने बोला सर मैंने रात को समझने की कोशिश भी की पर उन्होंने मेरी बात नहीं मानी है। खुद समझने की कोशिश की कि क्या करूँ? उनको समझाया पर कोई बात नहीं हुई। सर ने बोला ओके, ये बात है तो तुम मेरा साथ दोगी।मैंने बोला हाँ जी सर जरूर क्यों नहीं दूंगी सर ने बोला तो तुम पहले मुझे मेरे नाम से पुकारना शुरू करो। मैंने बोला ओके सर सर ने बोला फिर से मैंने बोला जी?सर ने बोला, बात ये है कि तुम ऑफिस मत छोड़ दो, ऐसे ही आती रहो।
मैं उनकी बात सुनकर खड़ी हुई तो उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया और मुझे बैठने को कहा। मैं उनकी बात मानकर वहाँ बैठ गई और फिर वो भी मेरे पास आकर एक चेयर पर बैठ गए।वो इतने करीब बैठे थे कि मैं आपको क्या बताऊँ। उनके इतने करीब बैठने से मेरे शरीर पे करंट दौड़ने लगा और रोंगटे खड़े हो गए। ये देखकर सर बोले तुम घबरा क्यों रही हो? मैंने बोला आज से पहले कभी ऐसा हुआ नहीं, इसीलिए।सर ने बोला चंचल तुम डरो मत।
आज के टाइम में कॉम्पिटिशन बहुत है इसलिए अपने मन से ये डर निकाल दो और किसी के करीब बैठने से यह हाथ लगाने से मत डरो। मैं उनकी बात समझ गई और मुँह नीचे करके सिर सर हिला दिया। चलो अब ये सब छोड़ो।और बात करते हैं, मैंने बोला ठीक है, करते हैं, सर ने पूछ लिया, अच्छा ये बताओ कभी पहले सेक्स किया है? मैंने पहले तीन बार कर रखा था इसीलिए चुप थी तो बोली, हाँ जी एक बार।सर ने बोला इसका मतलब तुम जानती हो? सेक्स के बारे में मैंने बोला हाँ जी सर ने पूछा तो तुम मेरे साथ सेक्स करना चाहोगे?मेरे तो में भयानक वाली खुजली होने लगी। अब सर ने अपना हाथ मेरे बुब्स पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे टांगों के बीज लाकर टाँगें खोलने लग गए।
मुझे अच्छा तो लग रहा था पर डर भी लग रहा था कि कोई अंदर ना आ जाए।सर ने बोला तुम चिंता मत करो, मैं प्यार बात नहीं करूँगा उनकी ये बात सुनकर मैंने अपनी टाँगे खोल दी और उन्होंने अब अपना हाथ मेरे छूट पर रख दिया। मेरे पैंटी के अंदर जाते ही चूत में अजीब सा कुछ हुआ।और मेरे तो मज़े में ही सिसकारी निकल गई, पर उन्होंने मेरी चूत पर सिर्फ उँगली फेरी और तभी फ़ोन बच गया तो उन्होंने फटाफट हाथ निकाल लिया और रिसीवर को उठाकर रिसेप्शन से बात करी तो उससे कहा हाँ 5 मिनट में भेज दो।
अब उनकी बात सुनकर मैं समझ गई कि कोई आ रहा है इसीलिए मेरे साथ वाली सीट को ठीक करके अपने चेयर पर आकर बैठ गई और बोली तुम आज घर जाओ, मैं तुम्हे कल मिलूँगी और हम कल ही मेरे घर पर जाएंगे जहाँ पर कोई नहीं रहता। अब मैं भी अपने कपड़े ठीक करके।घर आ गई और घर आकर मम्मी से झूठ बोला कि बॉस नहीं मिले इसलिए कल जाना पड़ेगा। ये सुनकर मम्मी भी सटिस्फीएड हो गई और फिर अगले दिन बॉस का फ़ोन आया तो उन्होंने कहा कि तुम आज ऑफिस मत आना मुझे चौक पर मिल लेना।
मैं भी अक्टिव लेकर पहुँच गई और वहाँ के कैंटीन में पहुँचकर।सर से मिली और फिर सर के साथ होकर घर पर आ गई घर बिल्कुल सूनसान था मेरी आर्य और सेक्स स्टोरीज़.नेट के दोस्तों घर को देखकर ऐसा लग रहा था कि वहाँ कितना गन होगा, पर जब अंदर आए तो देखा कि काफी सफाई थी।और अंदर आते ही बॉस ने मुझे बाहु में भर लिया और फिर मेरे होठों पर किस करने लग गए। मैं भी मज़े में उनका साथ देने लग गई क्योंकि मैं तो पहले से ही चाहती थी कि बॉस का साथ मुझे मिले और मेरी चूत को उनका लंड मिले।
फिर क्या था?फिर तो बस उन्होंने मुझे नंगा किया और अब मैं उनके सामने बिल्कुल ब्रा और पैंटी में आ गई और ये देख कर बॉस मुझ पर फिदा हो गए और मैंने तब अपने जिस्म को झपते हुए उनके जिस्म से चिपक गई और अपने बॉडी को छुपाने लगी।और उनके होठों को अपने होठों में भरकर चूसने लग गई। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और बॉस भी मेरे बुब्स को अपने हाथों से दबा रहे थे कि तभी उन्होंने अपने खिब को मेरी गार्डन पर रखकर चाटना शुरू कर दिया।हाँ, जिससे मैं पागल हो गई और पागलों की तरह मुँह से सिस के यहाँ निकालने लगी। मैं उनके बाहों में टूटी जा रही थी, जिसका उनको साफ साफ पता चल रहा था।
इसीलिए मैंने भी अपना हाथ बढ़ाकर उनके पैंट पर रख दिया और उनका लंडे को ऊपर से पकड़कर मसलने लगी। लंड को हाथ में लेकर पता चल रहा था कि वो कितना बड़ा था और आज मेरी क्या हालत होने वाली थी।फिर उन्होंने मुझे कमरे में ले जाकर बेड पर लेटा दिया और मेरे जिस्म को तो ऐसे चांटने लग गए जैसे कि कोई पागल किसी चीज़ के पीछे पड़कर उसे छोड़ता ही नहीं है।
मेरा हाल भी बहुत बुरा हो रहा था।इसीलिए मैंने उनके कपड़े उतार दिए और वो अब मेरी तरह बिल्कुल बनियान अंडरवेयर में आ गए थे और फिर तो उन्होंने मेरी ब्रा पैंटी भी उतार दी और मेरे बुब्स को मुँह में लग रहा था और मैंने उनका सर पलट कर उनके सर को अपने चूत में घुसाने लगी और मेरी तो बस तब बुरी हालत हो गई क्योंकि मुझे तो तब लंड चाहिए था।
इसीलिए मैंने बोला सर अब डाल भी दो।तो सर ने मेरे चूत को चूमने से रोका और अपने लंड को उस पर रखकर मेरे होठो को अपने होठो में भर कर चूसना स्टार्ट कर दिया और फिर क्या था फिर तो ट्राई किया और फिर रेल बनी की मेरे मुँह से आह।के चीखे निकलनी शुरू हो गई और उनका लंड मेरे चूत में तलवार की तरफ बचना शुरू हो गया। मुझे भी खूब मज़ा आने लगा था। इसीलिए मैंने अब नीचे से उनका साथ देना शुरू कर दिया।और ज़ोर ज़ोर से अपने गांड हिल्ला हिल्ला कर मज़े लेने लग गई और फिर करीब 5 मिनट के बाद लंड की स्पीड तेज हो गई जिससे मैं समझ गई थी की अब तो निकलने वाला है पर साथ ही मेरा भी निकलने वाला था।
इसीलिए मैंने भी उनके साथपूरा ज़ोर लगाकर एक साथ ही पानी छोड़ दिया और फिर वो मेरे ऊपर आकर गिर गए। हाँ, मेरे चूत में अभी भी लंड का प्यास बाकी था इसीलिए मैंने फिर से लंड को चूस कर खड़ा किया और फिर एक नार आया अच्छा चुदाई का कार्यक्रम चलाया।फिर सर बोले तुम रेग्जिनेशन दो, बस तुम डेली ऑफिस आओ और टाइम पर घर जाओ और मैं तुम्हारे प्रमोशन भी कर दूंगा पर तुम्हें उसके लिए मुझे रोज चूत देनी पड़ेगी
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